11. योगासन

कहा जा सकता है कि शरीर की हर एक स्थिति एक आसन है| मन और शरीर में तादात्म्य स्थापित कर व्यवस्थित रूप से जो आसन किया जाता है, वही योगासन है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वज कुछ योगासन ही किया करते थे। मध्ययुग में हमारे ऋषियों, मुनियों तथा योगियों ने योगासनों का महत्व जान कर उन पर शोध कार्य किया। लाखों योगासनों का आविष्कार किया | उनमें से कई आसन आज भी साधक कर रहे हैं| आज-कल अलग-अलग जगहों पर, योग विशेषज्ञ तथा योग शिक्षक अलग-अलग क्रमों में योगासन करा रहे हैं|

गाँधी ज्ञान मंदिर, हैदराबाद में गत कई वर्षों के अनुभव के आधार पर योगासनों के एक सरल क्रम का निर्धारण हमने किया। इस क्रम का अभ्यास करते हुए हज़ारों साधक फायदा उठा रहे हैं| योगासन करते समय शरीर चार स्थितियों में रहता है। उन स्थितियों पर ध्यान देकर योगासनों के चार क्रम हमने निर्धारित किये |

1. पीठ के बल लेट कर किये जानेवाले योगासन
2. पेट के बल लेट कर किये जानेवाले योगासन
3. बैठ कर किये जानेवाले योगासन
4. खड़े रह कर किये जानेवाले योगासन।

पाठकों के उपयोगार्थ हम अगले अध्यायों में योगासनों के उपर्युक्त 4 क्रमों को प्रस्तुत कर रहे हैं।

सूचनाएँ

अपने इस ग्रंथ में हमने योगासनों से संबंधित विधियों, उनके लाभों व उनके प्रयोजनों, उनकी विशेषताओं तथा उनके निषेधों आदि का भी विवरण प्रस्तुत किया है। सूचनाओं के साथ-साथ हर आसन के अंत में उससे संबंधित विशेष प्रयोजन का उल्लेख भी किया है। हमारा विश्वास है कि इससे पाठक विषय को सरलता से समझ कर हृदयंगम कर सकेंगे |