22. विश्रांति योग साधना


सन् 2004 के डिसेंबर माह में एक रविवार की प्रात: कालीन सुपर बेलामें योग केंद्र में 120 साधक अपनी योग साधना करते हुए शांति-आसन में विश्राम कर रहे थे। अचानक मेरे मन में एक नई विचार धारा पनपने लगी और मुख से योग की एक सर्वथा नई प्रक्रिया का संदेश बहने लगा। सभी साधक उसी आदेश के अनुसार श्रद्धा-पूर्वक अभ्यास करने लगे। 30-40 मिनटों के इस प्रवाह में साधकों ने उत्साहआनंद के साथ भाग लिया। सभी ने शरीर और मन दोनों स्तरों पर तनाव-मुक्ति और शक्ति-संचार का अनुभव किया।

उसी समय इस नई अद्भुत क्रिया का ” विश्रांति योग साधना ” ऐसा नाम करण किया गया |

विधि –

शांति-आसन की स्थिति में सूक्ष्म योग, योग निद्रा, सरल योगासन, प्राणायाम अदि विविध क्रियाओं का क्रमपूर्वक अभ्यास किया जाता है। शरीर के विविध अंगो में खींचाव तथा दबाव का अनुभाव करते रहे। सारा अभ्यास शांत मन से करें। किसी प्रकार का तनाव उत्पन्न न हो इसका ध्यान रहे। शरीर के जिस भाग पर क्रिया का प्रभाव पड़ रहा हो वहीं पर ध्यान लगावें।

लाभ –

इस अद्भुत क्रिया का लाभ छोटे-बड़े, रोगी, निरोगी सभी ले सकते है, दवाखाने में भरती ऐसे रोगी भी यथा शक्ति यह साधना कर के तन-मन को लाभ पहुंचा सकते हैं।

सूचना – इस क्रिया के VCD/ केसेट योग केंद्र में उपलब्ध है।